Monday, June 4, 2012

19 संगणक है किसके लिये -- हो

19 संगणक है किसके लिये 


      संगणकका उपयोग कौन कौन करता है और किसलिये ? सर्वोच्चसे सामान्य स्तर तक ब्यौरा लेनेपर हम पाते हैं कि इसका उपयोग वैज्ञानिक, उद्यम-जगत, व्यापार, बँक, लेखन-प्रकाशन-व्यवसायवाले, प्रशासनिक कार्यालय, जानकारीकी लेनदेन करनेवाले, हर प्रकारके डिजाइनर्स, सांख्यिकी-पण्डित, और सामान्यजन अपने सामान्य व्यवहारके लिये इसका उपयोग करते हैं। जाहिर है कि प्रत्येक का स्तर, जरूरतें और उद्देश अलग अलग होंगे। संगणकके प्रारंभिक दिनोंमें प्रत्येक स्तर या काम के लिये प्रोग्रामिंग एक्सपर्टको बुलाना पडता था । अब अस्सी प्रतिशत काम प्रोग्रामरके बिना ही किये जा सकते हैं। संगणककी दुनियाका यह अद्भुत परिवर्तन केवल बीस वर्षोंमें आया। लेकिन इसकी खबर कइयोंको नही है, खासकर उन्हें जो अपनी उमरके पचास वर्ष पूरे कर चुके हैं।


      संगणकके उपयोग के कई स्तर इस प्रकार हैं -- 
(1) सर्वोच्च स्तरका उपयोग संगणक-क्षेत्रके शोध-वैज्ञानिक करते हैं। संगणक जो काम आज कर सकता है उसके आगे कौनसे काम उसके दिमागमें भरे जा सकते हैं? यही विचार वे शोध-वैज्ञानिक करते हैं, और अपनी नई कल्पनाओं व संभावनाओंको जाँचनेके लिये भी संगणकका उपयोग करते हैं।
(2) अन्य वैज्ञानिक अपने प्रयोगोंमें, तथा गणितीय प्रमेय हल करनेके लिये इसका उपयोग करते हैं।
(3) वैज्ञानिक प्रयोगशालाओंमें अब जो नये उपकरण आते हैं, और उनके द्वारा जो काम किया जाता है, रीडिंग या चित्र लिये जाते हैं, वे सब संगणकमें संग्रहित किये जाते हैं। अतएव इन उपकरणोंमें संगणक एक अविभाज्य अंग बन गया है। एक्स-रे मशीन, इलेक्ट्रॉन बीम, इलेक्ट्रॉन मायक्रोस्कोप, आयन बीम, स्पेक्ट्रोस्कोप आदि मशीनोंमें संगणक अनिवार्यतः जुडा होता है। इन मशीनोंमें होनेवाले कामका प्रतिपल रीडिंग संगणकमें आता है और जहाँ उसके अनॅलिसिसकी आवश्यकता हो, वह भी हो जाता है। इससे शोधकार्यकी गति और प्रभावशीलता कई गुना बढ जाते हैं। दुखकी बात है कि हमारे देशकी प्रयोगशालाओंमें  ऐसे उपकरण अभी भी बहुतायतसे नही आये हैं, अतः हमारे देशके शोधकार्य अन्य देशोंकी तुलनामें तेजीसे पिछड रहे हैं।
(4) जिन कारखानोंके उत्पादमें अत्यंत सूक्ष्मतासे टाइम कण्ट्रोल और प्रोसेस कण्ट्रोल की आवश्यकता है,  वहाँ संगणकका उपयोग अनिवार्य है। अणु ऊर्जा, पेट्रोलियम कारखाने, सीमेंट, चीनी, या रासायनिक कारखाने जहाँ रासायनिक प्रक्रिया एक खास गतिसे होनी आवश्यक है, वहाँ  संगणकके अभावमें होनेवाला अपव्यय संगणकके उपयोगसे हजारों गुना बचाया जा सकता है। अंतरिक्षमें रॉकेट या सॅटेलाइट छोडना हो तो उसे किस पल, किस दिशामें किस गतिसे उडना है यह तय करने और उसी प्रकार उडानेके लिये  जबरदस्त कण्ट्रोल की आवश्यकता होती है जो केवल संगणकसे ही संभव है।
(5) मेडिकल टेस्ट और सर्जरी के लिये संगणकका उपयोग बहुतायतसे होता है। टेस्टमें जो भी दीखता है वह सारा इलेक्ट्रॉनिक भाषामें संगणकमें संग्रहित हो जाता है और एक पर्मनंट रेकॉर्ड तैयार हो जाता है। उदाहरणके लिये सोनोग्राफीमें ध्वनितरंगोंके परावर्तनसे जो चित्र बनता है, या लेप्रोस्कोपी ऑपरेशनमें खुर्दबीन (मायक्रोस्कोप) से जो बडा प्रतिबिम्ब बनता है, या ऑपरेशन के दौरान जो विडियोचित्र लिये जाते हैं, ये सभी संगणकपर इलेक्ट्रॉनिक भाषामें संग्रहित हो जाते हैं। इससे डॉक्टरको भी आसानी होती है और पेशंटके पास भी ऐसा रेकॉर्ड रह जाता है जिसे जब किसीको दिखाना चाहा तो ईमेलसे भेज दिया।
(6) सिम्युलेशन टेक्नॉलॉजीमें संगणकके कारण बडी क्रांति आई है। बल्कि कहना पडेगा कि यह तकनीक बिलकुल बाल्य अवस्थामें थी औप संगणकके कारण विकसित होकर मानों अपने युवा स्वरूप में आई है।
(7) आर्किटेक्चरके क्षेत्रमें त्रिमिति मॉडेल बनाना, उसे घुमाकर अलग अलग अंगोंसे देखना, इसी प्रकार नक्शे तैयार करना, उन्हें अचूकतासे एक स्केलसे दूसरे स्केलमें ढालना, ये सारे काम संगणक कुछ निमटोंमें कर सकता है जबकि खुद करनेसे उसमें महीनों लग सकते हैं। कुल मिलाकर जहाँ कहीं डिजाइनोंकी बात हो, संगणक उसमें चार चाँद लगा सकता है, फिर चाहे वह फूलपत्तियोंवाली डिजाइनमें अलग अलग रंग आजमानेकी बात हो,  आर्किटेक्टका बनाया बिल्डिंगका त्रिमिति डिजाइन हो, या त्सुमानी की तूफानी लहरोंका सिम्यूलेशन डिजाइन हो।
(8) एनिमेशन आर्टकी का काम भी संगणकके कारण कई गुना सरल हुआ है। और फिल्म इंडस्ट्रीमें तो इससे हजारों नई सुविधाएँ आईं हैं।
(9) तमाम बँक व्यापार, शेअर्स आदि काम अब संगणकपर किये जाते हैं। 
(10) हर प्रकारका सांख्यिकी काम, मुद्दे उठाना और निष्कर्ष निकालना संगणक के कारण प्रभावी ढंगसे  संपन्न होता है। 
(11) संगणकका सबसे प्रभावी उपयोग शायद यह है कि इससे नये नये सॉफ्टवेअर तथा ऍप्लिकेशन्स बनाये जाते हैं, जो नये कामोंमें लागू किये जाते हैं। यह आविष्कार जैसा है। जिस देश या कंपनीके पास ऐसे आविष्कारोंकी सुविधा है, वही आगे भी अपने आविष्कातोंकी परंपरा चलाये रख सकते हैं। 


हमारे देशके उद्योग-जगत में संगणकका उद्योग सबसे आगे है। लेकिन प्रायः सारी कंपनियाँ संगणक-तंत्रसे   सामान्यजन के सामान्य काम करनेवाली कंपनियाँ हैं। नये आविष्कार या ऍप्लिकेशन्स बनानेवाली प्रायः कोई नही । विश्वमें भी सर्वाधिक संगणक-तंत्रज्ञ भारतीय ही हैं। इसके बावजूद यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि संगणकके  नए ऍप्लिकेशन्स भारतमें नही बनते हैं। आइये आशा करें कि हमारी सरकार, विचारवंत और संगणक-तंत्रज्ञ इस बातपर गौर करेंगे।


       लेकिन करोडों सामान्यजनोंको अपने दैनंदिन जीवन में संगणककी छोटी-छोटी उपयोगिताओंके सहारे कई छोटे-छोटे काम करनेकी जो सुविधा उत्पन्न हुई है  उसका महत्व शायद उपरोल्लिखित तमाम उपयोगोंको पीछे छोडनेवाला है। और हाँ, सरकारी कामकाजमें भी सामान्य-जनको सुविधा देनेवाली संगणकीय उपयोगिता महत्वपूर्ण है। क्योंकि दोनों प्रक्रियाओंमें सामान्यजन तथा सामान्य सरकारी कर्मचारी किसी भी प्रोग्रामिंग-जटिलता को सीखे बगैर संगणक उपयोगसे लाभान्वित हो रहे हैं।

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सरकारी कर्मचारीको कितना संगणक-ज्ञान आवश्यक है -- 
  1. संगणक शुरू और बंद करना
  2. संगणकके कारभारी डिब्बेमें बाहर के पार्ट्स जोडना - जैसे प्रिंटर, की-बोर्ड, माउस, मोडेम, ब्रॉडबँड,स्पीकर, पेनड्राइव्ह इत्यादि
  3. ओपन ऑफिस या मायक्रोसॉफ्ट ऑफिस की सिस्टिम में वर्ड, एक्सेल, पॉवर-प्वॉइंट, मेल-मर्ज ये चारों प्रोग्राम चलाना
  4. संगणककी किसी भी फाइलपर सेव्ह, सेव्ह ऍज, कॉपी, कट, पेस्ट, प्रिंट, डिलीट, पीडीएफ, झिप, अनझिप, जीपेग, वेबपेज जैसे आवश्यक संस्कार करना
  5. इंटरनेट प्रारंभ कर ईमेल भेजना, गूगल-सर्चपर मनचाही जानकारी लेना, किसी वेबसाइटसे उसे डाउनलोड करना, वेबसाइटपर कोई नया पन्ना अपलोड करना
  6. संभव हो तो वेबसाइट या ब्लॉग बनाना और पेज-अपडेट करना भी सीखना चाहिये
  7. एक्सेलकी सारणियोंमें रख्खी गई जानकारीपर सॉर्ट, फिल्टर, चार्ट, और ग्राफ ये चार संस्कार करना उनके आधारपर निष्कर्ष तैयार करना और उन्हींके अनुरूप सरकारी नीतियाँ तय करना
  8. पेंट नामक प्रोग्रामकी थोडी जानकारी और उसकी सहायतासे प्रिंट-स्क्रीन नामक सुविधाका उपयोग
 सरकारी कर्मचारी सुगमतासे ये सब सीख सकें, यही इस पुस्तकका मूल उद्देश है।

      इसके अतिरिक्त सरकारी वरिष्ठ अधिकारियोंको कुछ और बातें जानना भी जरूरी है --
  1. नया संगणक या सॉफ्टवेअर खरीदते समय, या नई वेबयाइट बनाने या मेनटेन करनेका कॉण्ट्रक्ट देते समय या संगणकसे संबंधित किसीभी तंत्रज्ञ से कोई भी कॉण्ट्रक्ट तय करते समय अपनी आवश्यकताको समझना, 
  2. E-governance के माध्यमसे अपने विभाग के कार्यक्रम जनता तक पहुँचानेके उद्देशसे किस-किसको क्या काम करने हैं यह बतानेवाले कण्टेण्ट मॅनेजमेंट डॉक्यूमेंट तथा फॉर्म तैयार करना
  3. सरकारी योजनाओंका संगणक आधारित मॉनिटरिंग करना
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