Monday, June 4, 2012

21 संगणक है बुकिंग क्लर्क -- हो

21 संगणक है बुकिंग क्लर्क

      संगणक के विकास-क्रम में ऐसी ऑपरेटिंग सिस्टम्स विकसित हुईं जिससे संगणक के उपयोग के लिये स्वतः प्रोग्राम लिखनेकी आवश्यकता समाप्त हो गई। इसके बाद तो संगणक जैसे शास्त्रज्ञों और प्रोग्रामर्स के कमरे से निकलकर सामान्य व्यक्ति के घर, कार्यालय और व्यापार में पैठ गया। लोगोंने इसका एक बुकींग क्लर्क की तरह भी उपयोग आरंभ किया। इसे हम रेलवे बुकिंगके उदाहरण से समझ सकते हैं।

      बहुत पहले मेरे बचपन में हमलोग हर वर्ष रेलवेसे नहाराष्ट्रसे बिहार जाते थे तब पांच बार गाडियाँ बदलनी पडती थीं। धरणगाँव जैसे छोटे रेलवे स्टेशनपर हम टिकट कटाते थे। भुसावलसे मोगलसराय कलकत्ता मेलमें सीटोंका आरक्षण, आगे मुगलसरायसे पटनाका और तीसरा पटनासे बरौनीका  आरक्षण हमें चाहिये होता था। धरणगाँवके स्टेशनमास्तर तार भेजकर भुसावल, मुगलसराय और पटनाके स्टेशनमास्तर को सूचना भेजते थे और वहाँके स्टेशनमास्तर उस उस गाडीमें हमारी सीटें रिजर्व कराकर वापस तार से धरणगाँव सूचना भेजते थे। रेलवेकी अपनी खास तार-व्यवस्था होती है, इसलिये हमें  आरक्षणकी सूचना बहुत पहले मिल जाती थी और हम कहते - देखो, अपनी रेलवे कितनी कार्यकुशल है। फिर अपनी यात्रा के लिये हम निश्चिंत हो जाते। 

       हरेक स्टेशनमास्तरके पास एक तार रजिस्टर होता था जिसमें कितनी तारें आईं, कितनोंको किस किस गाडीका  आरक्षण  दिया, इत्यादी ब्यौरा दर्ज होता था। उसके आधार पर हर गाडीके समयपर उसका रिजर्वेशन चार्ट बनाकर प्लॅटफॉर्म पर और गाडीके डिब्बोंपर चिपकाया जाता था। इतने सारे काम उस एक तार रजिस्टर के ब्यौरेसे संपन्न हो पाते थे। लेकिन इसमें कई लोगोंको बहुत समय देकर काम निपटाना पडता था। भुसावलके स्टेशनमास्तर यदि हमारा  आरक्षण मुगलसराय तक करते थे तब उन्हे इटारसी और अगले सभी प्रमुख जंक्शनोंको बताना पडता था ताकि मुगलसरायतक उन सीटोंपर कोई दूसरा  आरक्षण न दे दे।

     अब रेलवे प्रशासनने अपने सभी स्टेशनोंपर संगणक रख दिये हैं। इसलिये जैसे ही हम कोई  आरक्षण कराना चाहें, हम तत्काल जानकारी ले लेते हैं कि तबतक कितनी सिटें आरक्षित हो चुकी हैं और कितनी खाली हैं। इसलिये आरक्षणकी सूचना भी तत्काल मिल जाती  है और जबाबी तार का इन्तजार  नही करना पडता। बल्कि इससे एक कदम आगे, अब तो हम घर बैठे बैठे इंटरनेटसे आरक्षण कर सकते हैं और अपना टिकट भी प्रिंट करके ले सकते हैं। स्टेशनमास्तर के लिये भी हर घंटे-दो घंटे में आरक्षणकी जानकारी लेकर नियोजन करना सरल हो गया है। 

        इसी प्रकार अब दुनियाभरमें हवाई टिकटोंका बुकिंग, बडे होटलों में कमरोंका बुकिंग आदि भी संगणकपर किये जाते हैं। अगर म्युजियम या जंगल-सफारी जैसे किसी प्रेक्षणीय स्थलकी यात्रा करनी हो, या सिनेमा हो, जहाँ प्रवेश के लिये टिकट चाहिये, तो उस स्थलकी भी वेबसाइट बना देते हैं। फिर आप घरसे ही इंटरनेटपर टिकट ले लीजिये और लाइन में लगे बिना ही अंदर चले जाइये। यह सुनिधा हर प्रगत संस्थामें उपलब्ध कराई जाती है। लंबे मार्गपर जानेवाली बसों में भी इस तरह की व्यवस्था होती है। 

       अब तो कई मंदिरों ने भी यह बुकिंगकी सुविधा अपनाई है। आपको किसी गणेशमंदिरमें चतुर्थीका अभिषेक कराना है, पर शायद स्वयं न जा पायें, तो वहाँ के पुजारी इंटरनेटपर आपसे बुकिंग ले लेंगे और उक्त तिथीको आपके नामसे अभिषेक करेंगे। प्रसाद भी डाकसे भेज देंगे। अगली तैयारी ऐसी है कि आपके अभिषेककी एक्सक्ल्यूझिव्ह सीडी भी आपको भेज देंगे। इतना ही नही यदि आप घर बैठे अभिषेक में उपस्थित रहना चाहते हैं, तो वीडियो कॉन्फरन्सिंग के द्वारा वह भी संभव है। 

      तो यह रही संगणकके बुकिंग-क्लर्क होनेकी कहानी।
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