Thursday, August 19, 2010

ch 1, ch ३ तक -- संगणक क्या है , संगणक यंत्र है -done

भाग - 1
संगणक क्या है

आजकल संगणक शब्दसे कौन अनजान है? कईयोंने इसे देखा है और कईयोंने इसपर काम भी किया है। फिर भी किसीसे अचानक पूछो कि संगणक क्या है, तो वह गडबडायेगा जरूर। और इसपर काम करनेके विषय में भी कई भ्रांतियाँ हैं। जिन लोगोंने इसे देखा उनमेंसे पचास प्रतिशत कह उठते हैं कि भैया, ये तो अपने बसका नही., अन्य कई समझते हैं कि इसे खरीदना अपनी जेबपर भारी पडेगा। फिर जिन्होंने संगणकपर सुविधासे काम करना सीख लिया वे हँसते हैं -- "अरे, यह तो बडा ही सरल है।"
अर्थात् संगणक ऐसी वस्तु है जिसे एक ही समय कोई कठिन कहेगा तो कोई सरल, कोई कहेगा निरर्थक खर्चा तो कोई कहेगा सार्थक। और हाँ, उनके बुद्धिमान होने न होनेका इन मतोंसे कोई संबंध नही है।
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भाग - 2
संगणक यंत्र है

दरअसल संगणक एक यंत्र है
है ना सरलसी बात? संगणक की सबसे पहली पहचान यही है कि यह एक यंत्र है। दिनभरमें तुम कितने यंत्र देखते होगे।सायकल यंत्र है - पैडल मारनेसे चलती है और हमें यहाँ-वहाँ घुमाती है। घडी भी यंत्र है जो चाबी या बैटरी पर चलती है ओर समय बताती है। फ्रिज, टीवी, मोबाईल, लिफ्ट, कार, पम्प, ये सब यंत्र हैं।
गाँवके कुओंपर चलनेवाले रहट, बोअरवेल और उसका हॅण्डपम्प, स्प्रिंकलर, स्प्रे पम्प, आटेकी चक्की, ट्रॅक्टर, ये सभी यंत्र है। लेकिन संगणक एक जादूगर यंत्र है। क्योंकि उसके पास एक मस्तिष्क हैं.-- अब है तो वह भी यांत्रिक मस्तिष्क, पर मस्तिष्क है तो मस्तिष्ककी महत्ता भी रखता है। विभिन्न प्रकारके काम कर लेता है। अन्य यंत्रोंकी तरह नही कि एक ही काम कर सके। संगणक लिख सकता है, पढता है, गाने सुनाता है, फिल्म दिखाता है, फिल्म बनाता है, चित्र आँकता है, हमारे साथ खेलता है, दुनियाके एक कोनेसे दूसरे कोनेतक पलभरमें संदेश पहुँचाता है और हाँ, बडे-बडे गणित सुलझाता है, और चाँदतक पहुँचनेमें हमारी मदद भी करता है। इसीलिये यह सीधासादा नही बल्कि जादूगर यंत्र है।
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भाग - 1
संगणक क्या है
आजकल संगणक शब्दसे कौन अनजान है? कईयोंने इसे देखा है और कईयोंने इसपर काम भी किया है। फिर भी किसीसे अचानक पूछो कि संगणक क्या है, तो वह गडबडायेगा जरूर। और इसपर काम करनेके विषय में भी कई भ्रांतियाँ हैं। जिन लोगोंने इसे देखा उनमेंसे पचास प्रतिशत कह उठते हैं कि भैया, ये तो अपने बसका नही., अन्य कई समझते हैं कि इसे खरीदना अपनी जेबपर भारी पडेगा। फिर जिन्होंने संगणकपर सुविधासे काम करना सीख लिया वे हँसते हैं -- "अरे, यह तो बडा ही सरल है।"
अर्थात् संगणक ऐसी वस्तु है जिसे एक ही समय कोई कठिन कहेगा तो कोई सरल, कोई कहेगा निरर्थक खर्चा तो कोई कहेगा सार्थक। और हाँ, उनके बुद्धिमान होने होनेका इन मतोंसे कोई संबंध नही है।

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भाग - 2
संगणक यंत्र है
दरअसल संगणक एक यंत्र है
है ना सरलसी बात? संगणक की सबसे पहली पहचान यही है कि यह एक यंत्र है। दिनभरमें तुम कितने यंत्र देखते होगे।सायकल यंत्र है - पैडल मारनेसे चलती है और हमें यहाँ-वहाँ घुमाती है। घडी भी यंत्र है जो चाबी या बैटरी पर चलती है ओर समय बताती है। फ्रिज, टीवी, मोबाईल, लिफ्ट, कार, पम्प, ये सब यंत्र हैं।
गाँवके कुओंपर चलनेवाले रहट, बोअरवेल और उसका हॅण्डपम्प, स्प्रिंकलर, स्प्रे पम्प, आटेकी चक्की, ट्रॅक्टर, ये सभी यंत्र है। लेकिन संगणक एक जादूगर यंत्र है। क्योंकि उसके पास एक मस्तिष्क हैं.-- अब है तो वह भी यांत्रिक मस्तिष्क, पर मस्तिष्क है तो मस्तिष्ककी महत्ता भी रखता है। विभिन्न प्रकारके काम कर लेता है। अन्य यंत्रोंकी तरह नही कि एक ही काम कर सके। संगणक लिख सकता है, पढता है, गाने सुनाता है, फिल्म दिखाता है, फिल्म बनाता है, चित्र आँकता है, हमारे साथ खेलता है, दुनियाके एक कोनेसे दूसरे कोनेतक पलभरमें संदेश पहुँचाता है और हाँ, बडे-बडे गणित सुलझाता है, और चाँदतक पहुँचनेमें हमारी मदद भी करता है। इसीलिये यह सीधासादा नही बल्कि जादूगर यंत्र है।

भाग -
संगणक है युक्तिभरा जादूगर यंत्र

संगणक है युक्तियों भरा जादूगर यंत्र लेकिन कई बार लोगोंको इससे डर लगता है उन्हें लगता है , कि वे कोई गलत बटन दबा देंगे और बडा अनर्थ हो जायेगा।
तो सबसे पहले हमे समझ लेना चाहिये कि संगणक का कोई बटन दब गया और उसमें कोई गडबडी हुई ऐसा साधारणतया कम ही होता है। प्रायः नही हे बराबर!

डरने का दूसरा कारण यह है कि संगणक का हर काम एक खास तरीके से या खास क्रम से होता है। जहाँ हमसे उस क्रम में जरा सी भी चूक हुई कि संगणक अडियल टट्टूकी तरह अड जाता है। फिर वह आगे चलेगा ही नही। आपको अगला क्रम पता हो तो आप दो- चार बार प्रयास करेंगे, फिर कहेंगे मारो गोली, यह नही चल रहा है। फिर इसे सीखने का उत्साह समाप्त हो जाता है और फिर हम उससे कतराने लगते हैं।

तो हमें केवल इतना जानना है कि जो काम हम संगणकसे करवाना चाहते हैं, उस काम का क्रम कैसा रहेगा। वास्तव में यह इतना सरल है कि पाच- छह बार करने पर इसकी समझ भी जाती है और आदत भी पड जाती है। जिस तरह जादूगर बडे आराम से और युक्तिसे हर एक को अपना जादू दिखाता है, उसी तरह संगणक की युक्तियाँ हमारे भी समझने में जाती है।

तो सीखनी है केवल कई छोटी छोटी युक्तियाँ और हां, यदि कोई दोस्त थोडी देर साथ आये, रहे, और ये युक्तियाँ सिखा दे तो यह और भी सरल बात हो जाती है। लेकिन तब हमारा भी कर्तव्य बन जाता हैकि हम भी किसी और को ऐसे ही दोस्ती निभाकर कर संगणक सिखायें।