Monday, June 4, 2012

22 संगणक है पेपर सेटर --- हो

22 संगणक है पेपर सेटर 


हमारी परीक्षा प्रणाली में तात्विक चिंतन और व्यावहारिक, दोनों स्तरोंपर कई सारे सुधार आवश्यक हैं। इनमेंसे एक जिसे मैं बहुत महत्व देती हूँ वह है संगणकके उपयोगसे परीक्षाओंको सुकर बनाना ताकि करोडों विद्यार्थि व पालक, लाखों शिक्षक व परीक्षाकी जिम्मेवारी उठानेवाले कर्मचारी, सभीके लिये आसानी हो। बस हमें समझ आनी चाहिये कि अरे, वाकई ऐसा क्यों न किया जाय।


एक उदाहरणसे इसे समझते हैं। कक्षा चौथीके गणितके पेपर का उदाहरण। मान लो इसमें दस अलग प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। तो हर प्रकार के लिये सौ-सौ प्रश्नोंकी एक मंजूषा तैयार करेंगे। ये सारे हजार प्रश्न संगणककी एक फाइलमें रखे जायेंगे। अब संगणकको एक प्रोग्राम ऐसा सिखाया जायगा कि जब भी उसे एक प्रश्नपत्रिका तैयार करनेको कहा जाय, वह हर प्रकार का एक एक प्रश्न रॅण्डम बेसिसपर चुनेगा-- और हर बार अलग चुनेगा। ऐसे दस प्रश्न चुनकर उन्हें प्रिंटरसे छापकर हमारे हाथमें रख देगा कि लो यह है तुम्हारा पेपर और यह है तुम्हारी परीक्षा। अब परिक्षेच्छु विद्यार्थी इसे हल करेगा और शिक्षकसे जाँच करवाकर अपने अंक जान सकेगा। इस प्रकार चटके पट किसीकीभी परीक्षा ली जा सकेगी।


इस व्यवस्थामें कई सुविधाएँ हैं। हर वर्ष पेपर सेट करो, उसकी करोडों प्रतियाँ बनाओ, उन्हें लाखों सेंटरोंतक पहूँचाओ, और यह प्रत्येक काम अति गुप्ततासे करो -- ये सारे झंझट खतम। पेपर लीक होनेका खतरा भी टलेगा और सबका टेन्शन भी टलेगा। इसके बाकी फायदेभी गिनते हैं।

(1) यह प्रश्न मंजूषा संगणकपर न रखकर महाजालपर रखी जाय और माँगनेपर वहींसे प्रश्नपत्रिका भी तैयार होकर मिल जाय तो विद्यार्थी कभीभी अपनी मॉक परिक्षा खुदही देकर अपना आत्मविश्वास बढा सकते हैं।

(2) हर महीने परीक्षा देनेकी सुविधा विद्यार्थियोंको दी जा सकती है। लाखों करोडों विद्यार्थी एक ही दिन परीक्षा दें यह जरूरी नही होता। अपनी सुविधासे विद्यार्थी परिक्षा दे सके तो सबका टेन्शन समाप्त हो जायगा।
(3) जहाँ केवल Objective प्रश्न हों, चार ऑप्शन्स हों और परिक्षार्थीको केवल एकपर टिकमार्क लगाना हो, ऐसी परिक्षाएँ आजकल संगणकके माध्यमसेही होती हैं। विदेश जानेके लिये आवश्यक जीआऱई, टोफेल, इत्यादि परिक्षाएँ कई वर्षोंसे संगणकपरही दी जाती है। पर आजका परिक्षा पॅटर्न ही रखना हो तब भी इस प्रकार प्रश्नमंजूषा बनाकर परिक्षाएँ ली जा सकती हैं। हाँ पेपर चेकिंग अबभी पुराने तरीकेसेही हो सकता है। 


अभी तक हमारे विभिन्न परीक्षा बोर्डोंका ध्यान इन संभावनाओंकी ओर नही गया है। उन्हें जल्दीही इसकी प्रेरणा मिले यही सारे विद्यार्थियोंको मेरी शुभेच्छा है। 


महाराष्ट्रके शासकीय कर्मचारी व अधिकारियोंके लिये मराठी और हिन्दी परीक्षाएँ महाराष्ट्र भाषा-संचालनालयकी मारफत ली जाती हैं। वहाँ हमने यह पद्धति आजमाई है। वहाँ प्रश्नमंजूषा तैयार है, संगणकको सॉफ्टवेअर बनाकर दिया गया है और परीक्षाके लिये प्रश्नपत्रिका संगणकही तैयार करता है। हाँ, दो बातें रह गई हैं --सीधे  परीक्षा-केंद्रपरही प्रश्नपत्र नही किया जाता बल्कि मुंबईसे भेजा जाता है। और दूसरी बात कि यह परीक्षा छोटे पैमानेपर है --एक बार केवल पचीस-तीस लोगोंकी -- इसी पद्धतीसे जब बोर्डकी भी परीक्षा ली जा सकेगी, तभी वह पद्धती पूरी तरह उपयोगी कहलायेगी।


कहो, संगणकके लिये कैसा रहेगा यह पेपरसेटरका रोल!
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