Monday, June 4, 2012

17 संगणक है पुस्तकोंकी अलमारी -- हो

17  संगणक है पुस्तकोंकी अलमारी


(अर्थात आपला ब्लॉग - blog)


संगणकपर धडाधड वेबसाईट तैयार होने लगी लेकिन कईयोंको लगा कि वह स्वागत-पृष्ठ बनाओ फिर उसे सजाओ, इतने नखरे क्यों चाहिये? चलो यह प्रक्रिया और भी सरल करते हैं। लोगोंको उनकी ढेर सारी पुस्तकें रखनेकी अलमारी ही दे डालते हैं। इसी अलमारीका नाम है ब्लॉग। अब हम गूगल या याहूकी सुविधा के लिये अपना नाम-पता रजिस्टर कर सकते हैं, बल्कि गूगलपर जीमेल अकाउंट हो तो उसी रजिस्ट्रेशनसे गूगलकी ब्लॉगस्पॉट सुविधापर ब्लॉगभी बना सकते हैं। 


ब्लॉगस्पॉट में अपना खाता खोलनेके बाद अपने ब्लॉगके लिये कोई अच्छासा नाम चुनकर उसकी बाबत नीति तय करते हैं कि वह सबके पढनेके लिये है या नही -- उसका डिजाइन कैसा रहेगा इत्यादि। अब उसपर कई सारे लेख लिखे जा सकते हैं,चित्र, ऑडीयो, विडियो भी रखे जा सकते हैं। वह सारी सामग्री मिलकर समझो कि एक पुस्तक हो गई। फिर अगर नितान्त भिन्न विषय लेकर कुछ और भी सामग्री हो तो एक नया ब्लॉग नाम देकर कुछ और लेख उसपर रखे जा सकते हैं, उसके लिये नया रजिस्ट्रेशन नही चाहिये -- केवल नया ब्लॉग आरंभ करना है और नये लेख उसपर रखने हैं। इस प्रकार हम अलग अलग विषयोंसे संबंधित अलग अलग ब्लॉग  बना सकते हैं।  हर ब्लॉग एक नई पुस्तककी तरह है और कोई भी नया लेखन किसी भी ब्लॉगपर रखा जा सकता है।
   
कई लोग अपना सारा लेखन एकही ब्लॉगपर रखना पसंद करते हैं, ताकि उन्हें पढनेवालेके लिये सारी सामग्री एक ही जगह पर मिले। लेकिन मैंने पाया कि अलग ब्लॉग बनानेमें मेरे लिये अधिक सुविधा है। इसीलिये मैं ब्लॉगको एक अलमारी की तरह इस्तेमाल करती हूँ जिसपर मेरे करीब 35 ब्लॉग या समझो कि 35 पुस्तकें हैं, जिनमें मैं जब चाहूँ कोई नया लेख लिख लेती हूँ। इस प्रकार मैंने अबतक अपने पांच-छःसोौ लेख मेरे ब्लॉगपर डाल रखे हैं जिन्हे मेरी ब्लॉगसाइट http://leenameh.blogspot.com पर पढा जा सकता है।
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