Monday, June 4, 2012

23 संगणक है बैठक नियोजक -- हो

23 संगणक है बैठक नियोजक


कार्यालय हो तो वहाँ बैठके भी होती रहेंगी। बडा सरकारी कार्यालय हो तो बाहरसे भी लोग आयेंगे। इसीलिये कार्यालयमें किसी न किसीको बैठककी सारी तैयारीका जिम्मा उठाना पडता है।

तैयारीका मतलब क्या है और इसके लिये क्या क्या काम करने पडते हैं ? 
  • बैठकका प्रयोजन और चर्चाके विषय तय करना
  • किसी विषयकी बाबत पूर्वपीठिका बतानेवाली टिप्पणि तैयार करना
  • आमंत्रितोंकी सूचि बनाना और आमंत्रण भेजना
  • बैठकका स्थान, दिन और समय तय करना और सबको सूचित करना
  • किसी कारणसे एक तारीख बदलकर दूसरी तय करनी पडे तो उसकी बाबत सूचना भेजना
  • बैठकके लिये चाय, फोल्डर, पेन, नोटबुक आदि की व्यवस्था करना
  • बैठकका चर्चावृत्तांत नोट करनेके लिये स्टेनो या टाइपिस्टकी, या ध्वनिमुद्रित या चित्रमुद्रित करनेकी व्यवस्था करना
  • बैठकके बाद कार्यवृत्तांत तैयार कर सबको सूचित करना
  • बैठकके निर्णयोंके अनुसार हो रही कारवाईकी जानकारी इकठ्ठी करना और अगली बैठककी टिप्पणीमें शामिल करना
इत्यादि. तो जिनपर यह जिम्मदारी आती है उन्हें संगणकके कारण तीन प्रकारकी सुविधा हो गई है -- 

1) व्हिडियो  कॉन्फरन्सिंग 
2) बैठकके मुद्दोंको प्रभावी ढंगसे पेश करना और 
3) अन्य सुविधाएँ


व्हिडियो  कॉन्फरन्सिंग की सुविधाके कारण अब बाहर के लोगोंको बैठकके स्थानतक बुलानेकी आवश्यकता नही रही -- वे जहाँ हैं वहींसे शामिल हो सकते हैं। इसे भी कई तरह से किया जा सकता है। जिस कमरेमें मुख्य बैठक है वहीं दो-तीन वेब-कॅमेरे लगाकर प्रतिक्षणकी गतिविधियाँ महाजाल द्वारा बाहर के लोग देख सकते हैं, और उनके पासभी कॅमेरे हों तो उनके दृश्य बैठक स्थानतक पहुँच सकते हैं। स्काइप जैसे प्रोग्राम से भी इसमें सुविधा हो जाती है और स्काइप तो मोबाइलसे भी हो जाता है।


बैठकके दस मेंबर दस गाँवों में हों तबभी उनकी बातें मुख्य स्थानतक पहुँच सकती हैं। व्हिडियो  कॉन्फरन्सिंगकी बातें कॅमेरेमें रेकॉर्ड होती रहती हैं तो बैठकका रेकॉर्ड भी तैयार हो जाता है। 
बाहरसे शामिल होनेवालेके पास कॅमेरा ना हो तो केवल माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर से भी उसकी बातें शामिल हो सकती हैं। यदि किसीके पास कॅमेरा न हो, तो ऐसी व्यवस्थाको टेलिकॉन्फरन्सिंग कहेंगे।


एकाध बार आवाज पहुँचानेकी सुविधा ङी न हो तो बाहरी व्यक्ति टाइप करके चॅट सुविधाकी मार्फत अपनी बात बैठकतक पहुँचा सकता है, लेकिन इसमें देर लगती है जो उसकी टाइपिंगकी गतिपर निर्भर है।

कॅमेराके साथ व्हिडियो  कॉन्फरन्सिंग की सुविधामें काफी खर्च है, क्योंकि वह तो छोटे पैमानेपर किये गये शूटिंगके समान है, लेकिन इसमें आमनेसामने बात करनेकी संतुष्टि मिलती है, बॉडी लॅन्ग्वेज भी समझ आती है। लेकिन टेलीकॉन्फरन्सिंग या चॅट द्बारा  कॉन्फरन्सिंगमें  खर्च काफी कम हो जाता है।

व्हिडियो  कॉन्फरन्सिंग  के अलावा औऱ भी कई काम संगणकसे सरल हो जाते हैं। यथा बैठककी सूचना, टिप्पणी इत्यादि इमेल द्बारा भेजी जा सकती है। उसमें कोईभी परिवर्तन हो तो वह सूचनाभी झटसे पहुँचाई जा सकती है। वे भी अपने अपवे मत पहलेसेही ईमेलद्वारा भेज सकते हैं, ताकि बैठकमें निर्णय करना सुगम  हो।


प्रत्यक्ष बैठकके समय भी अब विषय रखनेका तरीका बदल रहा है, पुरानी पध्दतिकी जगह अब संगणकसे  प्रेझेंटेशन कर‌नेकी नई सुविधा आ गई है। प्रेझेंटेशनके लिये मायक्रोसॉफ्ट पॉवर पॉईंट सर्वाधिक प्रचलित सॉफ्टवेअर है। जो विषय रखना है उसक मुख्य मुद्दे संगणकपर प्रेझेंटेशनके रू‏पमें पहलेसे ही तैयार रखे जाते हैं-- इसीमें मल्टीमीडियाप्रेझेंटेशन  हो तो लिखित मुद्दोंके साथ ध्वनिफित, चित्रफित वगैरे भी डाले जाते हैं ताकि प्रेझेंटेशन अधिक प्रभावी हो।


लेकिन मुख्य खासियत यह कि एकबार तैयार किया प्रेझेंटेशन अगली कई एक बैठकोंमें काम आ सकता है। भविष्य के लिये वह एक दूरगामी रेकॉर्ड बन जाता है।

आधुनिक समयमें संगणकद्वारा हरेक बैठककी उपयुक्तता बढाना संभव हुआ है इसमें दो राय नही है। अब तो सरकार भी हर जिलाधिकारी कार्यालयमें व्हिडियो कॉन्फरन्सिंगकी  सुविधा दे रही है ताकि मंत्रालयोंकी बैठकोंमें वे अपने कार्यालयसे ही सहभागिता कर सकें।

लेकिन हाँ, सरकारी अधिकारी व कर्मचारियोंको ये सुविधाएँ उपयोगमें लानेका और प्रेझेंटेशन का तंत्र सीखना पडेगा।

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