Tuesday, March 13, 2012

15. संगणक है खिडकियाँ ही खिडकियाँ 1-3

संगणक है खिडकियाँ ही खिडकियाँ . 

संगणक का यह वर्णन शत -प्रतिशत ठिक नही है। लेकिन जब हमे अपने घर की अलग-अलग खिडकियों से तुलना करेंगे तो यह वर्णन सही रूप में समझ आयेगा।
    घर कि खिडकियाँ होती हैं बहार से थोडेसे दृश्य को पकडने के लिये।घर खिडकी से दिखनेवाला दृश्य अलग होगा। कहीं से पौधे दिखेंगे तो याद आयेगा की इन्हें पानी देना है। कहीं से आकाश के पंछी दिखेंगे तो याद आयेगा कि इनकी आवाज रेकॉर्ड करनेका विचार कबसे मन में पडा हुआ है।कहीं से तेज धूप आयेगी तो याद आयेगा कि यहाँ आचार कि शिशी रखनी है, या कम्बल हर खिडकि का दृश्य अलग और उससे किये जानेवाले काम अलग।
    संगणक में इसी प्रकार से कई प्रोग्राम के कई पन्नों को हम एक साथ खोल सकते है।मानों कई
स्लेटें हमारे सामने पडी हों, या हमने कई खिडकियाँ खोल रखी हों। इनका आकार हम अपनी सुविधा के अनुरूप छोटा या बडा या बिन्दुमात्रा भी कर सकते हैं। और पडदे पर उनकी जगह बदल भी सकते है।
    इसलिये जब हम संगणक के सामने काम करने के लिये बैठते हैं तो हम कई काम एक साथ आरंभ कर सकते हैं। एक प्रोग्राम खोला , उसपर अगले काम के संगणक को निर्देश दिये- तभी दुसरा काम खोला - चाहे उसी प्रोग्राम का या दुसरे प्रोग्राम का। --------कि हमने उसकी खिडकी को बिंदुमात्रा कर दिया और दुसरे काम के निर्देश देने शुरू किये। फिर वह भी खिडकी छोटी करके कोने मे डाल दी और तीसरा काम शुरू किया। इसे कहते है मल्टिटास्किंग , या हिंदी में कह सकते हैंअनेकावधान(अनेक + अवधान) - किसी बडी कंपनीके टॉप एक्सिक्यूटिव्ह की तरह।
    इन खिडकियों कि एक मजा हैं। एक बार एक खिडकी का प्रयोग हम समझ ले - कि उसे बडा-छोटा कैसे करते हैं, उसमें किये हुए काम को कैसे सेव्ह(Save) करते हैं, या गलत हुआ हो तो कैसे उसे कचरा-पेटी में डालते है- इत्यादि तो बस । हर खिडकी का प्रबंधन उसी एक बार पड जाय - फिर तो दिमाग पर अधिक जोर डाले बिना ही हम फटाफट तीन-चार खिडकियाँ खोल कर हम उन कामों में लग जाते हैं।
    पर यह भी बता  दूँकि जब पहले
पहले संगणक बने तब उनमें यह बात नही थी। एक काम को खोला हो तो उसे बंद किये बगैर दूसरा शुरू नही किया जा सकता। लेकिन वह संगणक सामान्य जन के लिये नही थे। सामान्यजन की सुविधा के लिये IBM कंपनी ने पहली बार बडे पहमाने पर संगणोकों को बाजार में उतारा। उसकी तंत्र प्रणाली (सॉफ्टेवेअर) में विण्डोज ऑपरेटिव्ह सिस्टम मायक्रोसोफ्ट ने बनाई । उसमें यह हुई। उसके बाद तो अब जो भी अॅापरेटिव्ह सिहासन बाजार में आ जाते हैं, सबने यही पढती अवनाई ।
    संगणक के स्टार्ट बटन पर से टिकटिकने पर एक नई खिडकी खूलती है जिसमें हम संगणक पर रखे प्लाइले जेल्हीरो प्रोग्रामो की सूची पर मरते है।
     संगणक बंद करनेसे पहले खिडकियाँ बंद करनी चाहिये उसके बाद ही संगणक को शट डाउन करना चाहिये।
विंडोज अॅपरेटिंग सिस्टम आहे ये पहले समजनेके लिये संगणक - शिशा इस साल नही थी।
    फिर क्या हुआ और यह संगणक है चमत्कारी गणित। हमारे जिन पूर्व मे से अंको की कल्पना की, उनकी कल्पना शक्ति अन्तर्गीय, अनुलनीय, उपकारी करनी पडेगी। मैं तो कहती हूँ की विश्व का सबसे बडा दर्शन अंकशास्त्र ही है। अससे अधिक abstract कोई दूसरी संक्लपना नही है।
    हमारे पूर्व जो ने एक से नौ तक के आंकडे सोचे, यह अपने आप में वहा दर्शन या फिर उन्होंने शून्य की कल्पना की तो शायद और भी जमकारी
दर्शन थत १ से ९ तक के आंकडे एक से बढकर एक उदेष्ठ होते- चलते है। लेकिन  इन्हें अग्वाई में मन








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संगणक है तुम्हारी अपनी पुस्तक

     संगणक का उपयोग हम अपनी खुदकी निरवी पुस्तक की तरह कर सकते हैं। इसे वेबसाइट कहते हं।
      हम पुस्तक लिखते हैं, ताकि अपने विचार दुनिया के सामने रख सकें । वेबसाइट भी इसीलिये बनाते हैं।
      पुस्तक प्रकाशित करते समय केवल उसके आलेरन पर ध्यान दिया और बाकी बातें बेध्यान छोड दीं ऐसा नही कर सकते । पुस्तक के लिये एक सुंदर मुख पृष्ट आवश्यक है। साथ ही एक अनुशन सुची भीचाहिये। वेबसाइट बनाते समय मुखपृष्ठऔर अनुक्रम सुची दोनों किसीने अच्छा हिंदी पर्यायी उसे ढँढ लिया है - स्वागतपृष्ठ।
     अर्थात शोक होत पेज का स्वागतपृष्ठ बनाता है , उसे थोडा रंगबिरंगा , कलाकार आकर्षक बनना चाहिये। उसी पृष्ठ पर अनुक्रम सुची भी होनी चाहिये जो पढने वाले को बलयेकि कहाँ   क्लिक करने से उसे क्या या देखने को मिलेगा।
     वैसे देखा जाय तो हम भी संगणक की स्लेट पर खडी और आडी लकींरे
खींचकर कामचलाऊ स्वागतपृष्ठ बना सकते हैं। लेकिन वेब डिझाइनर बनाये गये वह अधिक आकर्षक, या सुंदर दिखेगा।
      वेबसइट पर क्या क्या जानकारी होनी चाहिये इसे समझने के लिये हम एक उदाहिण देखें- उसकी अनुक्रम सुची कुछ इस प्रकार होगी-
1.उक्त कार्यालय के आरंभ का रतिहाढ.
2.सुभाषना के कागजान - आदेश इत्यादि.
3.कार्यालय की सामान्य जानकारी.
4.उद्देश, दूरगीसी नितीयाँ, तथा कार्यसंकज- objective, vision  व   mission.
5.कार्याधिकार- mandate.
6.बित्तीय स्लम- बजेट.
7.कार्यालय से संबंधित फॅार्म जो जनता को भरने पडते हैं।
8.नया कुछ कुछ- यह जानकारी बदलती - रहनी चाहिये।
9.कार्यालय से संबंधित कानून, प्रशासत - निर्णय.



इसमें से किसी भी विषय पर जनतासे सुचना मंगवानी हो , तो हर चौकट में “हमें निरन भेंजे”   लिखकर इस चौकट को भी स्वागत पृष्ठ पर लगा देते हैं और उसकी निंक पर दुसरा दुसरा पन्ना खुलता हैजिसपर कोई जनता व्यक्ति अपना नाम, ईमेल- पत्ता इत्यादि जानकारी के साथ अपनी
सुचना भेज सकता है। इसी प्रकार यदि जनता हो कि कितने लोगोने साईट खोलकर देखी है, ले स्वागत पृष्ठ पर एक काऊंटर लायकर रखा जाता है, इधर किसीने आपकी वेबसईट देखी उधक काऊंटर ने अपनी गिनती कर ली और आपकी (व इसे भी) बता दिया।
     स्वागतपृष्ठी अनुक्रम सुची के किसी विषय पर क्लिक करने से जाती है।
     यदि हमें खुदही वेबसाइट बनानी है, तो किसी सरल- सुगम प्रोग्राम या सॅाफ्टवेर की मदद से हम बना सकते हैं, जैसे विण्डोज पेज मेकर या ड्रिम वीव्हर! यह प्रोग्राम खोलते ही हमारे सामने नया पन्ना खूल जाता है। उसका हम चौकोर या आयताकृती कई भाग बना सकते हैं। फिर एक भाग में अनुक्रम सूची लगाते हैं। दुसरी भागो में कोई फोटो, कोई ध्वनी-टेप या कोई दूक- श्राव्य टेप या कोई तस्वीर कोई फोटो लगा सकते हैं। किसी भाग में अपनी विषय में कुछ या वेब साइट के विषय में खुद का बोर्ड या कहीं गिनतीया काउंटर भी लगा सकते है। अर्थात अपनी ओर से हम उसे थोडासा आकर्षक बना सकते है लेकिन किसी फ्रोफेशन की बनाई वेब साइट निश्चय अधिक आकर्षक होगी।
     स्वागत पृष्ठ पर अपना कोई अप्लॅन या लोगो लगाना अच्छा रहता है, जिसे जाँडींग कहते हैं। इससे लोगोंको हमारी वेबसाइट याद रखने में आसानी होती है। यह आयकॅान अपनाफोटो भी हो सकता है।
    इस स्वागत पृष्ठ के किसी भी आयकॅान पर क्लिक करने से कैसे करते हैं? इसके लिये नये सॅाफ्टवेअर हम प्रयुक्त करते हैं उसीमेंएक छोटा प्रोग्राम बना होता हैं जिसे सुपरलिंक कहते हैं - अर्थात एक पृष्ठ को दुसरे पृष्ठ से इंटरनेट के माध्यम से जोडना। इसकेलिये पहला आवश्यक काम है कि हम हर पृष्ठ के लिये कोई नाम चुन लें। फिर हमारे सॅाफ्टवेअर में ऐसी आज्ञावली बनी होती है जिससे हमारे हर पृष्ठ के लिये एक पृष्ठ संकेत (URL) बनता चलता है। इस प्रकार मान लो कि मेरी वेबसाइट का नाम है kaushalam तो इसके स्वागत पृष्ठ पहला संकेत बनाफिर यदि मुझे इसमें तीन पन्ने जोडने हैं जिनके नाम हैंvision, mission व objective तो vision  नामवाले पृष्ठ का पृष्ठसंकेत होगा।
http:\\www.kaushalam.com\vision.html

    इस प्रकार हमें अपनें चारों पन्नोंके पृष्ठ संकेत पता हैं। अब स्वागत पृष्ठ पर जहाँ हमने शब्द लिखा है-vission-  उस शब्द को हायपरलिंक करने पर संगणक पुछेगा कि किस पृष्ठ संकेत से लिंक करूँ
तो उनके उत्तर में यही पृष्ठसंकेत लिखना है।
    अब जैसे ही हम वेबसाइटपर
तीन पन्ने जुड जायेंगे और स्वागत पृष्ठ से उस- उस शब्द पर माउस को टिकटिकाने पर वह पन्ना खुल जायेगा और हम उस पन्ने पर लिखा विवरण पढ सकेंगे।
     लेकिन वेबसाइट पर पन्ने अपलोड करने से पहले आवश्यक है कि हमारी वेबसाइट हो, उसका पता हो और अवकाश में उनके लिये कोई जगह सुनिश्चित हो । जिस प्रकार हमें अपना ईमेल पता किसी  कंपनी क साथ रजिस्टर करना पडता है, उसी प्रकार वेबसाइट भी रजिस्टर करनी पडती है। यदि हमे वेबसाइट बदल करे आकार की कोई आर्थिक कार्यकला न करने हों तो कई कंपनिया बिना पैसा लिये भी वेबसाइट रजिस्ट्रेशन करवाकर अवकाश में जगह दे देती हैं। बडी या व्यावसायिक वेबसाइट हो तो वार्शिक कीमत पर उसे रजिस्टर करते हैं।



























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