Wednesday, January 4, 2012

ch3 संगणक है युक्तिभरा जादूगर 1-3




संगणक है युक्तिभरा  जादूगर

संगणक है युक्तियों भरा जादूगर यंत्र । लेकिन कई बार लोगोंको इससे इतना डर लगता है जैसे अंधेरे कमरे के भूत से। भूत का डर क्यों लगता है? इसकी एक वजह है अंधेरा और दूसरा हमारा मन जो भूत जैसी शंकाओंमें विश्वास कर लेता हैं।
    पर इस डर को भगाने का उपाय कितना सरल है- कमरे में रोशनी कर दो। या किसीका दोस्तका हाथ पकड कर कमरे में जाओ। बस खतम हो गया भूत।
    संगणक से भी लोग क्यो डरते है? उन्हें लगता है , कि वे कोई गलत बटन दबा देंगे और बडा अनर्थ हो जायेगा।
    संगणक से भी लोग क्यो डरते है? उन्हें लगता है , कि वे कोई गलत बटन दबा देंगे और बडा अनर्थ हो जायेगा।

तो सबसे पहले हमे समझ लेना चाहिये कि संगणक का कोई बटन दब गया और उसमें कोई गडबडी हुई ऐसा साधारणतया कम ही होता है।  प्रायः नही हे बराबर!

    डरने का दूसरा कारण यह है कि संगणक का हर काम एक खास तरीके से या खास क्रम से होता है। जहाँ हमसे उस क्रम में जरा सी भी चूक हुई कि संगणक अडियल टट्टूकी   तरह अड जाता है। फिर वह आगे चलेगा ही नही। आपको अगला क्रम पता न हो तो आप दो- चार बार प्रयास करेंगे, फिर कहेंगे मारो गोली, यह नही चल रहा है। फिर इसे सीखने का उत्साह समाप्त हो जाता है और फिर हम उससे कतराने लगते हैं।

तो हमें केवल इतना जानना है कि जो काम हम संगणकसे करवाना चाहते हैं, उस काम का क्रम कैसा रहेगा। वास्तव में यह इतना  सरल है कि पाच- छह बार करने पर इसकी समझ भी आ जाती है और आदत भी पड जाती है। जिस तरह जादूगर बडे आराम से और युक्तिसे हर एक को अपना जादू दिखाता है, उसी तरह संगणक  की युक्तियाँ हमारे भी समझने में आ जाती है।

   तो सीखनी है केवल कई छोटी छोटी युक्तियाँ । और  हां, यदि कोई दोस्त थोडी देर साथ आये, रहे, और ये युक्तियाँ सिखा दे तो यह और भी सरल बात हो जाती है। लेकिन तब हमारा भी कर्तव्य बन जाता हैकि हम भी किसी और को ऐसे ही हाथ पकड कर संगणक सिखायें।












































No comments: