संगणक के कारण प्रकाशन जगत में बडी क्रांति और प्रगति हुई है। संगणक आनेसे पहले पुस्तक-प्रकाशन के लिये क्या क्या करना पडता था इसकी लम्बी लिस्ट है --
- लेखन (जो लेखक करता था)
- पुस्तकका आकार और पन्नों का लेआउट तैयार करना
- टाइप-सेट के अनुरूप कीलें लगाना
- प्रुफ रीडिंग करवाना
- प्रुफ फायनल करनेपर कीलों के आधार से मुद्रित करना
- यदि किसी पन्नेपर चित्र है तो चित्र की प्रतिकृतिको मुद्रित करना
- पुस्तक के लिये ISBN रजिस्टर करना
- मुखपृष्ठ तैयार करना
- बाइन्डिंग करवाना
- लोकार्पण का आयोजन
- पुस्तककी यथासंभव विज्ञापन करना ताकि खपत बढे
- पुस्तकालयों तक पहुँचाना
- प्रकाशित पुस्तकोंकी सूची रखना (यह काम कोलकाताकी राजाराममोहन राय संस्था या ISBN जैसी संस्था करते हैं
- दूसरी आवृत्ति के लिये पूरी प्रक्रिया पुनः करनी पडती थी क्योंकि लगानेका काम दुबारा करना पडता था
- अब प्रायः सारे लेखक संगणकपर ही अपनी पुस्तक लिखते हैं
- कमसेकम प्रगत देशोंमें तो यही होता है
- कीलें जोडनेका काम अब पूरी तरहसे अनावश्यक हो गया है
- संगणकपर टाइप किये गये लेखनसे पेजमेकर या उस जैसे किसी सॉफ्टवेअरके प्रयोगसे सीधे पेज ले-आउट तैयार हो जाता है
- प्रुफरीडिंग के बाद केवल उतनी ही गलतियाँ सुधारनी पडती हैं, पहले पूरा दुबारा टाइप करना पडता था
- तैयार पुस्तककी इलेक्ट्रॉनिक प्रति सीडीपर रख लेते हैं जिसे भविष्यमें चाहे जितनी बार उपयोग में लाया जा सकता है
- कीलें जोडनेकी बजाय ट्रेसिंग निकालकर ऑफसेट पद्धतिसे छपाई की जाती है
- मुखपृष्ठ बनानेवाले चित्रकारका काम भी संगणक के कारण सरल हो गया है
- नई आवृत्ति के लिये सीडी पर रखी पाण्डुलिपिमें आवश्यक सुधार या बदलाव करनेसे काम बन जाता है
- प्रकाशित पुस्तककी जानकारी इंटरनेटपर रखनेसे दुनियाभरके सभी सर्च इंजिन्सके पास खबर रहती है और सर्च करनेवालेको तत्काल उपलब्ध हो जाती है
- नई प्रकाशित पुस्तकोंकी और पुस्तकालयोंमें आनेवाली पुस्तकोंकी जानकारी देनेवाली कई साइट्स हैं जिनके माध्यमसे खबर पहुँचती है
- ISBN रजिस्ट्रेशन नंबर भी अब संगणकके माध्यमसे दिया जाता है जिससे उनके पास जानकारी अपने आप अपडेट हो जाती है
- कोलकाता स्थित राजा राममोहन रॉय लायब्ररी फाउंडेशन (RRRLF) की मार्फत भारतमें प्रकाशित पुस्तकोंकी सूची रखी जाती है और पुस्तकालयोंको सरकारी अनुदानके तहत रुस्तकें भी सप्लाय की जाती हैं। फाउंडेशन के लिये संगणक-आधारित पुस्तक-सूची अत्यंत उपयोगी है।
- संगणकीकरणसे पुस्तकें बेचना अत्यंत सरल हो गया है क्येंकि इंटरनेट परही रिव्यू देखकर ऑर्डर बुक कराई जाती है, कीमत भी चुका दी जाती है और डाकसे पुस्तक घरतक आ जाती है। ऐसी सुविधासे पुस्तक बेचनेमें अमेजॉन साइट सबसे आगे है और एक मॉडेल बन चुकी है।
इस प्रकारसे संगणक प्रकाशन-जगत के लिये एक क्रांति और प्रगति का सबब बन गया है।
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